दुआओं में कोई रंग नही।
मैं मगर दिल तंग नही।
रोज सींचता हूँ ,
ज़ज़्बात से जिन्हें ।
होते ही कुबूल ,
रंग मिलेगा इन्हें ।
मैं रहूँ न रहूँ ,
कोई बात नही ।
दुआओं की रोशनी से,
चमकेगी तेरी राह नई ।
रोशन रहेगा तू ,
तेरी ख़ातिर जमाने में।
हो रही साँझ ,
अब मेरी नई नई ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"...
मैं मगर दिल तंग नही।
रोज सींचता हूँ ,
ज़ज़्बात से जिन्हें ।
होते ही कुबूल ,
रंग मिलेगा इन्हें ।
मैं रहूँ न रहूँ ,
कोई बात नही ।
दुआओं की रोशनी से,
चमकेगी तेरी राह नई ।
रोशन रहेगा तू ,
तेरी ख़ातिर जमाने में।
हो रही साँझ ,
अब मेरी नई नई ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"...
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