मैं कौन हूँ जमाना तय क्या करेगा ।
मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।
सजा लूँ मैं अपने आप को ,
ज़ज्व कर चुभती फ़ांस को ।
ज़ख्म मेरा भी भरा होगा ।
कल मेरा भी सुनहरा होगा ।
जीतूँगा मैं भी आकाश को ,
न हार कर अपने विश्वास को ।
जमाना नजर भर रहा होगा ।
जो मुकाम मेरा रहा होगा ।
मैं कौन हूँ जमाना तय क्या करेगा ।
मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।
.....विवेक दुबे "निश्चल"@...
मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।
सजा लूँ मैं अपने आप को ,
ज़ज्व कर चुभती फ़ांस को ।
ज़ख्म मेरा भी भरा होगा ।
कल मेरा भी सुनहरा होगा ।
जीतूँगा मैं भी आकाश को ,
न हार कर अपने विश्वास को ।
जमाना नजर भर रहा होगा ।
जो मुकाम मेरा रहा होगा ।
मैं कौन हूँ जमाना तय क्या करेगा ।
मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।
.....विवेक दुबे "निश्चल"@...
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