कलम चलती रही वक़्त से मेरे साथ ।
अल्फ़ाज़ सजते रहे बन मेरे ज़ज़्बात ।
सींचता जिन्हें रहा अश्क़ों से बार बार ,
निकले खुशियों के तो कभी ज़ार ज़ार।
सजा गईं रंगीन दिल की किताब ,
मेरा हर शफा यूँ हुआ दाग दार ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@.....
अल्फ़ाज़ सजते रहे बन मेरे ज़ज़्बात ।
सींचता जिन्हें रहा अश्क़ों से बार बार ,
निकले खुशियों के तो कभी ज़ार ज़ार।
सजा गईं रंगीन दिल की किताब ,
मेरा हर शफा यूँ हुआ दाग दार ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@.....
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