बुधवार, 21 मार्च 2018

अहसास खो गए

बूझकर चराग़ अँधेरों के हो गए ।
हालात के तले अहसास हो गए ।

 आँधियों से वो लड़े खूब मगर ,
 रुख हालात के खास हो गए ।

 जो उजाले थे एक मिसाल से ,
 आज अँधेरों के वो साथ हो गए ।

वक़्त मेहरवां था या सितमगर ,
 सवाल हर शख़्स के पास हो गए ।

न था सुबूत बेगुनाही का "निश्चल"
 हालात से गुनाहगार हाथ हो गए ।

 बूझकर चिराग अँधेरों के हो गए ।
 हालात के तले अहसास हो गए ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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