अक़्स ज़माने से क्या छुपाऊँ अपने ।
ऐब ज़माने को क्यों न दिखाऊं अपने ।
जिस ज़माने ने दिए यह उजाले मुझे ।
ग़ुनाह ज़माने से क्यों छुपाऊँ अपने ।
ज़माने ने बाबजूद उजालों से नावजा मुझे ,
गुनहगार हूँ बहुत ही नजर में मैं अपने ।
.विवेक दुबे"निश्चल"@....
ऐब ज़माने को क्यों न दिखाऊं अपने ।
जिस ज़माने ने दिए यह उजाले मुझे ।
ग़ुनाह ज़माने से क्यों छुपाऊँ अपने ।
ज़माने ने बाबजूद उजालों से नावजा मुझे ,
गुनहगार हूँ बहुत ही नजर में मैं अपने ।
.विवेक दुबे"निश्चल"@....
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