गुरुवार, 22 मार्च 2018

ख्वाहिशों की चाहतें

ख्वाहिशों की चाहतें  कैसी ।
 हसरतों की अदावतें कैसी ।

  पलकों की कोर से गिरते  ,
 अश्कों की आहटें कैसी ।
   ... विवेक दुबे"निश्चल"@..


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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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