लुटता रहा मैं प्रीत जिसे जान कर ।
खुशियों के गीत जिसे जान कर ।
हँसता रहा वो मुझ पे बार बार ,
खुश रहा मैं उसे रीत जान कर ।
सोचा था न रुलाएगा वो कभी मुझे ,
मांग बैठा वो आँसू जीत जानकर ।
खोजा न खुद को कभी आप में मैंने,
खोजता रहा उसमे मीत जानकर ।
.... विवेक "निश्चल"@......
खुशियों के गीत जिसे जान कर ।
हँसता रहा वो मुझ पे बार बार ,
खुश रहा मैं उसे रीत जान कर ।
सोचा था न रुलाएगा वो कभी मुझे ,
मांग बैठा वो आँसू जीत जानकर ।
खोजा न खुद को कभी आप में मैंने,
खोजता रहा उसमे मीत जानकर ।
.... विवेक "निश्चल"@......
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