बुधवार, 21 मार्च 2018

लुटता रहा मैं

लुटता रहा मैं प्रीत जिसे जान कर ।
 खुशियों के गीत जिसे जान कर ।
 हँसता रहा वो मुझ पे बार बार ,
 खुश रहा मैं उसे रीत जान कर ।

 सोचा था न रुलाएगा वो कभी मुझे ,
 मांग बैठा वो आँसू जीत जानकर ।
 खोजा न खुद को कभी आप में मैंने,
 खोजता रहा उसमे मीत जानकर ।

.... विवेक "निश्चल"@......

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