शनिवार, 21 अप्रैल 2018

मुक्तक 13

करता बातें जो इस पल की ।
 क्यों फिक्र नही उस पल की ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
  दीप्त रहे क्यों "निश्चल " सी ।
..
 स्वप्न बुने उसने इस पल के ।
 क्यों ज़िक्र नही उस पल के ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
 पर रहते क्यों  "निश्चल " से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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