करता बातें जो इस पल की ।
क्यों फिक्र नही उस पल की ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
दीप्त रहे क्यों "निश्चल " सी ।
..
स्वप्न बुने उसने इस पल के ।
क्यों ज़िक्र नही उस पल के ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
पर रहते क्यों "निश्चल " से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
क्यों फिक्र नही उस पल की ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
दीप्त रहे क्यों "निश्चल " सी ।
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स्वप्न बुने उसने इस पल के ।
क्यों ज़िक्र नही उस पल के ।
संग सितारे चंचल चँदा के ,
पर रहते क्यों "निश्चल " से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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