नैया पार लगा केवट उतरा धीरे से ।
नैया डोले नदिया तीरे धीरे धीरे से ।
केवट चला धरा पर अपनी धीरे से ।
नैया डूबी तीरे अपने धीरे धीरे से ।
....
चलते रहो शायद यही भाग्य होता है ।
मन में बस एक विश्वास होता है ।
करती फैसले कुदरत अपने तरीके से ,
और कुछ नहीं हमारे हाथ होता है ।
...
चलते रहो शायद यही भाग्य हो ।
मन में एक यही विश्वास हो।
फैसला करे कुदरत अपने तरीके से ,
तब सब कुछ हमारे हाथ हो।
....
खोजो खुशी अपने आप मे ।
बस हँस दो अपने हालात पे।
भुलाकर दुनियाँ की ठोकरें ,
विश्वास करो अपने आप पे।
....
कर इश्क़ अपने आप से,
जी जरा अपने वास्ते ।
भूल रुस्वाई दुनियाँ की ,
छोड़ जरा गम के रास्ते ।
...... विवेक दुबे"©...
ब्लॉग पोस्ट 28/9/18
नैया डोले नदिया तीरे धीरे धीरे से ।
केवट चला धरा पर अपनी धीरे से ।
नैया डूबी तीरे अपने धीरे धीरे से ।
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चलते रहो शायद यही भाग्य होता है ।
मन में बस एक विश्वास होता है ।
करती फैसले कुदरत अपने तरीके से ,
और कुछ नहीं हमारे हाथ होता है ।
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चलते रहो शायद यही भाग्य हो ।
मन में एक यही विश्वास हो।
फैसला करे कुदरत अपने तरीके से ,
तब सब कुछ हमारे हाथ हो।
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खोजो खुशी अपने आप मे ।
बस हँस दो अपने हालात पे।
भुलाकर दुनियाँ की ठोकरें ,
विश्वास करो अपने आप पे।
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कर इश्क़ अपने आप से,
जी जरा अपने वास्ते ।
भूल रुस्वाई दुनियाँ की ,
छोड़ जरा गम के रास्ते ।
...... विवेक दुबे"©...
ब्लॉग पोस्ट 28/9/18
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