किताब किताब बदलता गया ।
सफ़ा सफ़ा पलटता गया ।
कुछ स्याह सफे खयाल के ,
कुछ हंसीं सफे बे-मिसाल से ।
कभी कुछ सम्हलता गया ।
कभी कुछ बदलता गया ।
यूँ कदम-दर-कदम चलता गया ।
यूँ ज़िंदगी से ज़िंदगी बदलता गया ।
खामोश थीं वो खुशियाँ ,
मगर दर्द बोलता गया ।
तूफान के इशारे से ,
समंदर डोलता गया ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
सफ़ा सफ़ा पलटता गया ।
कुछ स्याह सफे खयाल के ,
कुछ हंसीं सफे बे-मिसाल से ।
कभी कुछ सम्हलता गया ।
कभी कुछ बदलता गया ।
यूँ कदम-दर-कदम चलता गया ।
यूँ ज़िंदगी से ज़िंदगी बदलता गया ।
खामोश थीं वो खुशियाँ ,
मगर दर्द बोलता गया ।
तूफान के इशारे से ,
समंदर डोलता गया ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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