तू मेरी ग़जल को काफ़िया दे दे ।
तू मेरे हर शेर के रदीफ़ ले ले ।
रहे हर शेर में नाम तेरा ,
तू बस उस शेर की रजा दे दे ।
न लिखूँगा फिर ग़जल कोई ,
तू इस ग़जल की वज़ह दे दे ।
लिखूं एक मक़्ता तेरे नाम से ,
शेर-ऐ-मतला में तू मुझे ले ले ।
आया हूँ रिंद की मानिंद ऐ साक़ी ,
ग़जल को काफ़िया ऐ नशा दे दे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
तू मेरे हर शेर के रदीफ़ ले ले ।
रहे हर शेर में नाम तेरा ,
तू बस उस शेर की रजा दे दे ।
न लिखूँगा फिर ग़जल कोई ,
तू इस ग़जल की वज़ह दे दे ।
लिखूं एक मक़्ता तेरे नाम से ,
शेर-ऐ-मतला में तू मुझे ले ले ।
आया हूँ रिंद की मानिंद ऐ साक़ी ,
ग़जल को काफ़िया ऐ नशा दे दे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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