न रोग कोई , न कोई योग था ।
बस एक छोटा सा, संयोग था ।
सहज सरल था , यह जीवन
बस एक वोट का, जोग था।
बिगड़ गए रंग जीवन के ।
बदल गए ढंग जीवन के ।
वो हार गए थे जो कल ,
अपना ही इसमें दोष था ।
कर रहे अब यह मनमानी ।
अपनी ही है यह नादानी ।
समझा था जिनको भोला ,
इन नादानों में भी खोट था ।
योग समझ , सँजोया जिनको ।
समझ न आए, कैसा संयोग था ।
समझा था , वे-खोट जिन्हें ,
उन अपनों में भी , खोट था ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 1
बस एक छोटा सा, संयोग था ।
सहज सरल था , यह जीवन
बस एक वोट का, जोग था।
बिगड़ गए रंग जीवन के ।
बदल गए ढंग जीवन के ।
वो हार गए थे जो कल ,
अपना ही इसमें दोष था ।
कर रहे अब यह मनमानी ।
अपनी ही है यह नादानी ।
समझा था जिनको भोला ,
इन नादानों में भी खोट था ।
योग समझ , सँजोया जिनको ।
समझ न आए, कैसा संयोग था ।
समझा था , वे-खोट जिन्हें ,
उन अपनों में भी , खोट था ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 1
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