जब जब उसमे दोस्त देखा ।
तब तब उसने ख़ंजर फेका ।
जख्म दिए हैं गहरे गहरे से ,
वो ना-पाक नियत है कैसा ।
...
अब क्या समझे क्या समझाएं ।
अब तो आर पार ही हो जाए ।
मरते है अब आम नागरिक भी ,
रात अँधेरे गोली गोले चल जाए ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
तब तब उसने ख़ंजर फेका ।
जख्म दिए हैं गहरे गहरे से ,
वो ना-पाक नियत है कैसा ।
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अब क्या समझे क्या समझाएं ।
अब तो आर पार ही हो जाए ।
मरते है अब आम नागरिक भी ,
रात अँधेरे गोली गोले चल जाए ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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