मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

तू मेरी ग़जल को

तू मेरी ग़जल को काफ़िया दे दे ।
 तू मेरे हर शेर के रदीफ़ ले ले ।
 लिखूं एक मक़्ता तेरे नाम से ,
  शेर-ऐ-मतला में तू मुझे ले ले ।
 ... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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