बे-वाक हूँ बेईमान नही ।
भोला हूँ नादान नही ।
पढ़ लेता हूँ निगाहों को ,
हाँ चेहरों की पहचान नही ।
....
खुद्दार हूँ तल्ख मिज़ाज़ रखता हूँ ।
जुबां हाज़िर जवाब रखता हूँ ।
भूलता नही कभी दोस्ती मैं ,
पाई पाई का हिसाब रखता हूँ ।
....
मार्च क्लोजिंग में कुछ हिसाब देख लूँ।
कितना नगद रहा कितना उधार देख लूँ ।
लिख लूँ रोकड़ खाते आज फिर नए ,
जो है मुनाफा उसे अपने पास देख लूँ ।
...
करता हूँ मंजूर हक़ीक़त को ।
नही इल्ज़ाम देता कुदरत को ।
स्याह के बाद आते हैं उजाले ,
देखता हूँ आते दिनकर को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
भोला हूँ नादान नही ।
पढ़ लेता हूँ निगाहों को ,
हाँ चेहरों की पहचान नही ।
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खुद्दार हूँ तल्ख मिज़ाज़ रखता हूँ ।
जुबां हाज़िर जवाब रखता हूँ ।
भूलता नही कभी दोस्ती मैं ,
पाई पाई का हिसाब रखता हूँ ।
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मार्च क्लोजिंग में कुछ हिसाब देख लूँ।
कितना नगद रहा कितना उधार देख लूँ ।
लिख लूँ रोकड़ खाते आज फिर नए ,
जो है मुनाफा उसे अपने पास देख लूँ ।
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करता हूँ मंजूर हक़ीक़त को ।
नही इल्ज़ाम देता कुदरत को ।
स्याह के बाद आते हैं उजाले ,
देखता हूँ आते दिनकर को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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