इतिहास लिखें न हम कल का।
इतिहास लिखें हम कल का।
राह बदल दें हम सरिता की,
सत्य लिखें हम पल पल का।
...
जानता हूँ फिर भी थका न था ।
अँधेरा ही मगर हम सफ़र था ।
चलता रहा सफ़र राह पर मेरा ,
तलाश में उजालों की चला था ।
...
मंजिल से पहले घबराना कैसा ।
बीच राह तेरा थक जाना कैसा ।
भेद सका न हो अब तक कोई,
बस तू साध निशाना एक ऐसा ।
...
मशविरे हज़ार मिलते हैं ।
सरे राह यार मिलते हैं ।
जीतना है ख़ुद से ख़ुद को,
मौके बार बार मिलते हैं ।
....
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस ज़ीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
छंटती है धुँध कोहरे हटते हैं।
खिली धूप से चेहरे उभरते हैं।
चलते छोड़कर राह पुरानी ,
नई राह होंसले आंगे बढ़ते हैं।
...
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस जीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
सटीकता पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ था ।
चेहरा था निर्भीक मगर डरा हुआ था ।
गुजरता था मैं अनजानी राहों से फिर भी ,
अपने "निश्चल" विश्वास से भरा हुआ था ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
Blog post 27/2/18
डायरी 3
इतिहास लिखें हम कल का।
राह बदल दें हम सरिता की,
सत्य लिखें हम पल पल का।
...
जानता हूँ फिर भी थका न था ।
अँधेरा ही मगर हम सफ़र था ।
चलता रहा सफ़र राह पर मेरा ,
तलाश में उजालों की चला था ।
...
मंजिल से पहले घबराना कैसा ।
बीच राह तेरा थक जाना कैसा ।
भेद सका न हो अब तक कोई,
बस तू साध निशाना एक ऐसा ।
...
मशविरे हज़ार मिलते हैं ।
सरे राह यार मिलते हैं ।
जीतना है ख़ुद से ख़ुद को,
मौके बार बार मिलते हैं ।
....
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस ज़ीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
छंटती है धुँध कोहरे हटते हैं।
खिली धूप से चेहरे उभरते हैं।
चलते छोड़कर राह पुरानी ,
नई राह होंसले आंगे बढ़ते हैं।
...
चलते जाना तू चलते जाना ।
पतझड़ में भी फूल खिलाना ।
राह कठिन इस जीवन वन की,
ज़ीवन वन गुम हो न जाना ।
...
सटीकता पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ था ।
चेहरा था निर्भीक मगर डरा हुआ था ।
गुजरता था मैं अनजानी राहों से फिर भी ,
अपने "निश्चल" विश्वास से भरा हुआ था ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
Blog post 27/2/18
डायरी 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें