वो हारता नही हालात से ।
वो जीतता सच्चे प्रयास से ।
नर्म फिजाओं की पुकार से ।
फूट पड़ा अंकुर इस्पात से ।
जीवन भी कुछ ऐसे ही चलता है ।
सौ सौ तालों से जम जकड़ता है ।
कोशिश हर पल प्रतिकार की ।
चाहत एक ठंडी सी फुहार की ।
निकल दुर्गम जीवन राहों से ।
सजती सृष्टि रचना संसार की ।
चाहत एक जीवन की ख़ातिर ,
कोशिश फौलाद पर प्रहार की ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
वो जीतता सच्चे प्रयास से ।
नर्म फिजाओं की पुकार से ।
फूट पड़ा अंकुर इस्पात से ।
जीवन भी कुछ ऐसे ही चलता है ।
सौ सौ तालों से जम जकड़ता है ।
कोशिश हर पल प्रतिकार की ।
चाहत एक ठंडी सी फुहार की ।
निकल दुर्गम जीवन राहों से ।
सजती सृष्टि रचना संसार की ।
चाहत एक जीवन की ख़ातिर ,
कोशिश फौलाद पर प्रहार की ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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