शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

चित्र चिंतन वो हारता नही

     वो हारता नही हालात से ।
    वो जीतता सच्चे प्रयास से । 
    नर्म फिजाओं की पुकार से ।
    फूट पड़ा अंकुर इस्पात से ।

   जीवन भी कुछ ऐसे ही चलता है ।
   सौ सौ तालों से जम जकड़ता है । 
    कोशिश हर पल प्रतिकार की । 
   चाहत एक ठंडी सी फुहार की । 

  निकल दुर्गम जीवन राहों से ।
  सजती सृष्टि रचना संसार की । 
   चाहत एक जीवन की ख़ातिर ,
   कोशिश फौलाद पर प्रहार की ।

 ..... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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