ज़िंदगी जब भी, मुँह चिढ़ाती है ।
माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है ।
वक़्त के, तूफान में, कश्ती डगमगाती है ।
पतवार , याद तेरी , बन जाती है ।
रूठता हुं , खुद से ही , में जो ,
यादों में तु , मुझे मनाती है ।
जागता हुं , जो रातों में कभी ,
तेरी यादें , थपकियाँ , दे सुलाती हैं ।
ज़िंदगी जब भी ....
गिर रोता हुं , चोट , से दुनियाँ की,
याद तेरी, गोद मुझे उठाती है ।
गलतियाँ , होतीं , आज भी मुझसे ,
तेरी याद ने, आज भी, गलतियाँ सुधारी हैं ।
ज़िंदगी जब भी ...
सीखता ही , रहा था , हर दम तुझसे ,
याद तेरी , आज भी , मुझे पढ़ाती है ।
भूलता हुं , कहीं , रस्म दुनियाँ की ,
तु यादों में , हर रस्म बताती है ।
ज़िंदगी जब भी ...
चलता हुं , आज भी , साए में तेरे ,
तु आज भी , छाँव नजर आती है ।
है नही तु , सामने , अब मेरे ,
फिक्र तु, अपनी, आज भी बढ़ाती है ।
ज़िंदगी जब भी मुँह चिढ़ाती है ।
माँ तु , मुझे, याद बहुत आती है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है ।
वक़्त के, तूफान में, कश्ती डगमगाती है ।
पतवार , याद तेरी , बन जाती है ।
रूठता हुं , खुद से ही , में जो ,
यादों में तु , मुझे मनाती है ।
जागता हुं , जो रातों में कभी ,
तेरी यादें , थपकियाँ , दे सुलाती हैं ।
ज़िंदगी जब भी ....
गिर रोता हुं , चोट , से दुनियाँ की,
याद तेरी, गोद मुझे उठाती है ।
गलतियाँ , होतीं , आज भी मुझसे ,
तेरी याद ने, आज भी, गलतियाँ सुधारी हैं ।
ज़िंदगी जब भी ...
सीखता ही , रहा था , हर दम तुझसे ,
याद तेरी , आज भी , मुझे पढ़ाती है ।
भूलता हुं , कहीं , रस्म दुनियाँ की ,
तु यादों में , हर रस्म बताती है ।
ज़िंदगी जब भी ...
चलता हुं , आज भी , साए में तेरे ,
तु आज भी , छाँव नजर आती है ।
है नही तु , सामने , अब मेरे ,
फिक्र तु, अपनी, आज भी बढ़ाती है ।
ज़िंदगी जब भी मुँह चिढ़ाती है ।
माँ तु , मुझे, याद बहुत आती है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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