शनिवार, 21 अप्रैल 2018

माँ तु मझे याद आती है

ज़िंदगी जब भी, मुँह चिढ़ाती है ।
 माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है ।

 वक़्त के, तूफान में, कश्ती डगमगाती है ।
 पतवार , याद तेरी ,       बन जाती है ।

 रूठता हुं , खुद से ही , में जो ,
 यादों में तु ,    मुझे मनाती है ।

 जागता हुं ,       जो रातों में कभी ,
 तेरी यादें , थपकियाँ , दे सुलाती हैं ।

 ज़िंदगी जब भी .... 

      गिर रोता हुं , चोट , से दुनियाँ की,
       याद तेरी,      गोद मुझे उठाती है ।

 गलतियाँ ,       होतीं    , आज भी मुझसे ,
  तेरी याद ने, आज भी, गलतियाँ सुधारी हैं ।

 ज़िंदगी जब भी ...

 सीखता ही , रहा था , हर दम तुझसे ,
 याद तेरी , आज भी , मुझे पढ़ाती है ।

 भूलता हुं , कहीं , रस्म दुनियाँ की ,
 तु यादों में ,      हर रस्म बताती है ।

 ज़िंदगी जब भी ...

     चलता हुं , आज भी , साए में तेरे ,
     तु आज भी , छाँव नजर आती है ।

 है नही तु ,    सामने ,        अब मेरे ,
 फिक्र तु, अपनी, आज भी बढ़ाती है ।

 ज़िंदगी जब भी मुँह चिढ़ाती है ।
 माँ तु , मुझे, याद बहुत आती है ।

 .... विवेक दुबे"निश्चल"@....


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