रविवार, 15 अप्रैल 2018

वक़्त वही रहता है

वक़्त वही रहता इंसान बदलते हैं ।
पाषाण वही रहता भगवान बदलते हैं ।
 होतीं है हाथों में ------ लकीरें सबके ,
 फिर भी हाथों के अंजाम बदलते हैं ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी।  3

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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