बुधवार, 18 अप्रैल 2018

नींद

नींद हमे न आए तो, नही कोई बात है ।
 कल की फिक्र का ,हमे करना इलाज़ है ।
  फ़िक्र आज की बूंदों से ,तर जज़्बात है ।
 अपनी तो चाँदनी भी , एक स्याह रात है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

यादों के बंधन ....
  कच्चे से कुछ पक्के  से ।
 कुछ झूंठे से कुछ सच्चे से।
 स्वप्न सलोनी रातों के ,
 यह साथी बस सच्चे से ।
 ... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 3

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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