सूरज हुआ अस्तांचल है ।
गगन नही कोई हलचल है ।
साथ सितारों के चँदा भी,
"निश्चल" चलता बोझिल है ।
....
साँझ ढले तू आजा चँदा ।
तारों के सँग छा जा चँदा ।
निहार कण बिखरा कर ।
मुझको तर कर जा चँदा ।
.... निहार (ओस)
अब दिन गया गुजर ।
कर कल की फ़िकर ।
डूब ले तू कान्हा में ,
छोड़ आज का जिकर।
.......
अपने ईस्वर को मना लें जरा ।
भूंखे को एक निवाला दें जरा ।
आस्था के थाल में अपने भी,
जल जाएं दिये सेवा के जरा ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"©...
गगन नही कोई हलचल है ।
साथ सितारों के चँदा भी,
"निश्चल" चलता बोझिल है ।
....
साँझ ढले तू आजा चँदा ।
तारों के सँग छा जा चँदा ।
निहार कण बिखरा कर ।
मुझको तर कर जा चँदा ।
.... निहार (ओस)
अब दिन गया गुजर ।
कर कल की फ़िकर ।
डूब ले तू कान्हा में ,
छोड़ आज का जिकर।
.......
अपने ईस्वर को मना लें जरा ।
भूंखे को एक निवाला दें जरा ।
आस्था के थाल में अपने भी,
जल जाएं दिये सेवा के जरा ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"©...
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