सब्र बड़ा इम्तेहान लेती है ।
ठहर जरा बार बार कहती है ।
ठोकर खाता है नादान आदमी ,
फिर भी चलने की जल्दी होती है ।
....
तस्वीरों को खींचता आदमी ।
वक़्त को भींचता आदमी ।
सहजता आज को क्यों ,
आज से ही टूटता आदमी ।
...
हार नही सकता हालातों से ,
तू जीतेगा एक दिन हालातों से ,
क़द हालतों का बोना होता ,
आदमी के होंसलों से ।
....विवेक दुबे"निश्चल"©..
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