शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

मुक्तक कुछ ख्याल 8

सत्य में बड़ा सतित्व है।
 असत्य बड़ा विचित्र है।
 आता बढ़चढ़ कर सामने,
 सत्य होता नही भृमित है।
.. 

 बस कर्म ही हमारा साथ है ।
 भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में  ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
    ......
ज़मीन बिछाता आसमां ओढ़ता मैं ।
इस तरह खुद को खुद से जोड़ता मैं ।
 बयां कर हक़ीक़तें खुद मैं अपनी ,
हसरतों को हक़ीक़त से तोड़ता मैं ।
   .....
कहते हैं न कतरा मेहनत से ,
मेहनत का फल मीठा होता है ।
बहा पसीना मेहनत के माथे से ,
 आखिर वो क्यों खारा होता है ।

...

 विवेक दुबे"निश्चल"@....


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