सत्य में बड़ा सतित्व है।
असत्य बड़ा विचित्र है।
आता बढ़चढ़ कर सामने,
सत्य होता नही भृमित है।
..
बस कर्म ही हमारा साथ है ।
भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
......
ज़मीन बिछाता आसमां ओढ़ता मैं ।
इस तरह खुद को खुद से जोड़ता मैं ।
बयां कर हक़ीक़तें खुद मैं अपनी ,
हसरतों को हक़ीक़त से तोड़ता मैं ।
.....
कहते हैं न कतरा मेहनत से ,
मेहनत का फल मीठा होता है ।
बहा पसीना मेहनत के माथे से ,
आखिर वो क्यों खारा होता है ।
...
विवेक दुबे"निश्चल"@....
असत्य बड़ा विचित्र है।
आता बढ़चढ़ कर सामने,
सत्य होता नही भृमित है।
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बस कर्म ही हमारा साथ है ।
भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
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ज़मीन बिछाता आसमां ओढ़ता मैं ।
इस तरह खुद को खुद से जोड़ता मैं ।
बयां कर हक़ीक़तें खुद मैं अपनी ,
हसरतों को हक़ीक़त से तोड़ता मैं ।
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कहते हैं न कतरा मेहनत से ,
मेहनत का फल मीठा होता है ।
बहा पसीना मेहनत के माथे से ,
आखिर वो क्यों खारा होता है ।
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विवेक दुबे"निश्चल"@....
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