असर अल्फ़ाज़ के ऐसे हुए ।
बिन कहे ही आज मेरे हुए ।
न था निग़ाह में जिनके कभी ,
वो आज साथ राह मेरे हुए ।
.....
कदम कदम बढे चलें ।
हौंसले हम गढ़े चलें ।
सींच ले चमन अल्फ़ाज़ का ,
फूल जब खिलें तब खिलें ।
...
टूटे फूटे अल्फ़ाज़ जोड़ते हैं ।
लफ्ज़ हमे तड़फता छोड़ते है ।
पिलाकर पैमाने अल्फ़ाज़ के ,
रिंद को साक़ी से जोड़ते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
बिन कहे ही आज मेरे हुए ।
न था निग़ाह में जिनके कभी ,
वो आज साथ राह मेरे हुए ।
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कदम कदम बढे चलें ।
हौंसले हम गढ़े चलें ।
सींच ले चमन अल्फ़ाज़ का ,
फूल जब खिलें तब खिलें ।
...
टूटे फूटे अल्फ़ाज़ जोड़ते हैं ।
लफ्ज़ हमे तड़फता छोड़ते है ।
पिलाकर पैमाने अल्फ़ाज़ के ,
रिंद को साक़ी से जोड़ते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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