अपने ही डगर कठिन सँग चलते हैं ।
अपने ही तो मंजिल अपनी बनते हैं ।
कर नज़र अंदाज़ हम अपनो को ।
अक़्सर चाहत गैरों की हम रखते हैं ।
.....
कुछ तो है जिस की पर्दा दारी है ।
सबकी अपनी एक लाचारी है ।
फांसले हैं फ़क़त दिलो में अपने ,
यूँ तो दुनियाँ से अपनी यारी है ।
....
लाख छुपाया ज़माने से अपने आप को ।
पर चेहरा बयां कर गया मेरे हालात को ।
सोचा निगाहें झुका कर ख़ामोश रहूँ ,
सिलवटें उजागर कर गईं हर बात को ।
.....
लिखता था जो हालात को ।
कहता था जो ज़ज्बात को।
बदलता गया समय सँग सब ,
बदला उसने भी अपने आप को ।
....
हँसता हूँ मैं अपने ही हालात से ।
कब तक लड़ूँ अपने ज़ज्बात से ।
पाकर तंज अपनों के ही मैं ,
बहार हुआ अपनी ही जात से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@..
डायरी 3
अपने ही तो मंजिल अपनी बनते हैं ।
कर नज़र अंदाज़ हम अपनो को ।
अक़्सर चाहत गैरों की हम रखते हैं ।
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कुछ तो है जिस की पर्दा दारी है ।
सबकी अपनी एक लाचारी है ।
फांसले हैं फ़क़त दिलो में अपने ,
यूँ तो दुनियाँ से अपनी यारी है ।
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लाख छुपाया ज़माने से अपने आप को ।
पर चेहरा बयां कर गया मेरे हालात को ।
सोचा निगाहें झुका कर ख़ामोश रहूँ ,
सिलवटें उजागर कर गईं हर बात को ।
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लिखता था जो हालात को ।
कहता था जो ज़ज्बात को।
बदलता गया समय सँग सब ,
बदला उसने भी अपने आप को ।
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हँसता हूँ मैं अपने ही हालात से ।
कब तक लड़ूँ अपने ज़ज्बात से ।
पाकर तंज अपनों के ही मैं ,
बहार हुआ अपनी ही जात से ।
.... विवेक दुबे "निश्चल"@..
डायरी 3
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